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चिकित्सा सेवा ही धर्म, मरीज ही परिवार! हर साजिश को मात देकर मानवता के पथ पर अडिग डॉ. इंद्रभान विश्वकर्मा का भव्य सम्मान


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अयोध्या। श्री राम अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. इंद्रभान विश्वकर्मा (MBBS, MD) को उनकी अद्वितीय और निस्वार्थ चिकित्सा सेवा के लिए छोटी छावनी के महंत श्री राम बहादुर दास जी महाराज सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने माल्यार्पण कर सम्मान पत्र प्रदान किया।

मरीजों के लिए समर्पित सेवा, कर्तव्य से कभी पीछे नहीं हटते

डॉ. इंद्रभान विश्वकर्मा चिकित्सा को केवल एक पेशा नहीं, बल्कि सेवा और धर्म मानते हैं। जब अधिकांश चिकित्सक दोपहर 2:00 बजे के बाद अस्पताल छोड़ देते हैं, तब भी वे मरीजों की सेवा में तत्पर रहते हैं और लगभग 4:00 बजे तक अस्पताल में बैठकर मरीजों का इलाज करते हैं। जब तक उनके चौखट पर एक भी मरीज खड़ा रहता है, वे अपनी कुर्सी नहीं छोड़ते। उनका एकमात्र उद्देश्य है— “मरीजों को स्वस्थ कर समाज के बीच पुनः खड़ा करना।”

कोरोना काल में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका

कोरोना महामारी के दौरान जब लोग घरों में कैद थे और भय व्याप्त था, तब डॉ. इंद्रभान बिना किसी स्वार्थ के मरीजों की सेवा में डटे रहे। उन्होंने अनगिनत मरीजों को न केवल उचित उपचार दिया, बल्कि उनका मानसिक हौसला भी बढ़ाया। उनकी अथक मेहनत और समर्पण को देखते हुए समाज के गणमान्य लोगों ने उन्हें सम्मानित कर उनका हौसला बढ़ाया।

“मेरा धर्म सेवा करना है” – विरोधियों को करारा जवाब

डॉ. इंद्रभान विश्वकर्मा के खिलाफ साजिशें रचने वालों को करारा जवाब देते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा—

“जिस प्रकार बिच्छू का स्वभाव बार-बार डंक मारना होता है, लेकिन संत का स्वभाव हर बार उसे बचाना होता है। ठीक उसी प्रकार एक चिकित्सक का कर्तव्य केवल मरीज की जान बचाना और उसे स्वस्थ करना है।”

उन्होंने आगे कहा—

“अगर मेरे सामने कोई भी व्यक्ति बीमारी से जूझ रहा है, तो मेरा पहला धर्म उसे जीवन देना और स्वस्थ करना है। उसके बाद वह मेरे बारे में क्या सोचता है, क्या कहता है, इसकी मुझे परवाह नहीं। एक डॉक्टर का स्वभाव सेवा करना है, और मैं इसी सिद्धांत पर चलता हूं।”

“मैं अपने कर्तव्य से कभी पीछे नहीं हटूंगा, चाहे कोई कुछ भी कहे। जो लोग सेवा को समझते हैं, वे इसे हमेशा सम्मान देंगे, और जो लोग बेवजह विरोध कर रहे हैं, वे भी समय आने पर सच्चाई को स्वीकार करेंगे।

संजीवनी बनकर सेवा का संकल्प

डॉ. इंद्रभान विश्वकर्मा ने आगे कहा—

“एक चिकित्सक का धर्म है कि वह अपने मरीज के जीवन को बचाए, उसे स्वस्थ करे और उसे दोबारा समाज के बीच खड़ा करे। मुझे किसी के आरोपों से फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि मेरा उद्देश्य मानवता की सेवा करना है। मैं जब तक सक्षम हूं, इसी संकल्प को निभाता रहूंगा।”

भव्य सम्मान समारोह में उमड़ा स्नेह, गणमान्य लोगों ने की सराहना

इस सम्मान समारोह में महंत श्री राम बहादुर दास जी महाराज, समाजसेवी, प्रशासनिक अधिकारी और अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहे। सभी ने डॉ. इंद्रभान की निस्वार्थ चिकित्सा सेवा की भूरि-भूरि प्रशंसा की और उन्हें समाज के लिए प्रेरणास्रोत बताया।

समाज के लिए मिसाल, सेवा ही सच्चा धर्म

डॉ. इंद्रभान विश्वकर्मा की अटूट चिकित्सा सेवा और समर्पण सिर्फ अयोध्या ही नहीं, बल्कि संपूर्ण चिकित्सा जगत के लिए एक मिसाल है। उनका मानना है कि—

“मरीजों की सेवा ही सच्चा धर्म है।”

उनकी सेवा भावना की पूरे समाज में सराहना हो रही है।

BJS India News


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